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    बार बार होने वाले गर्भपात (miscarriage)को केसे रोकें ?(bar bar hone wale garbhpat ko kaise roken?)-

    बार बार होने वाले गर्भपात को केसे रोकें ?-
                    अगर बार बार आपका गर्भ गिर रहा है तो ये लेख आपके
    लिए बहुत उपयोगी है। यदि किसी स्त्री को लगातार
    दो बार गर्भपात हो चूका हैं तो अगला गर्भ गिरने की
    सम्भावना हो सकती हैं। ऐसे में उनको बहुत सावधानी
    रखनी चाहिए। क्षयग्रस्त स्त्रियां जो नाजुक, कोमल
    प्रकृति की होती हैं, प्राय: गर्भस्त्राव करती हैं। अगर
    बार बार गर्भ गिर रहा हो तो गर्भरक्षा के ये उपाय
    बहुत कारगार साबित हो सकते हैं, आइये जाने
    अगर तीन माह से पहले गर्भ गिरता हैं तो इसको
    गर्भस्त्राव कहा जाता हैं। जब गर्भस्त्राव होता हैं तो
    रक्तस्त्राव होने लगता हैं। अगर केवल रक्तस्त्राव ही
    होता हैं तो यह “THREATENED ABORTION”
    कहलाता हैं। यदि रक्तस्त्राव के साथ दर्द रहे तो
    गर्भस्त्राव होने की अत्यधिक सम्भावनाएं होती हैं।
    इसके बहुसारे कारण हो सकते हैं। बचाव से पहले हम
    कारणों को जान ले ताकि पहले हम कारणों को दूर
    कर सकें l


    गर्भपात के कारण-
                 1) निमोनिया, संक्रामक ज्वर, पुरानी बीमारिया जैसे
    टी बी।
                2) गर्भाशय सम्बन्धी खराबी,
                3) पेट में आघात लगना,
                4) भय,
                5) मानसिक आघात,
                6) बच्चे का ठीक ढंग से विकास व् निर्माण ना होना,
               7) गर्भस्त्राव होने की प्रवृति,
              8) विटामिन ई की कमी,
              9) अंत: स्त्रावी ग्रंथियों
    की खराबी (थाइरोइड होना), आदि अनेक कारणों से
    गर्भस्त्राव होता हैं।
    सावधानियाँ :-
          1) जिस स्त्री को गर्भस्त्राव होता हो, उसे भारी
    बोझा नहीं उठाना चाहिए। आराम करना चाहिए।
          2)रक्तस्त्राव तथा पेट दर्द होने पर तो पूर्ण आराम करना
    चाहिए।
           3) रक्तस्त्राव की स्थिति में चारपाई के पाँव
    की और के पायो को नीचे ईंट लगाकर ऊंची कर देनी
    चाहिए।
          4)  जो कारण समझ में आये उन्हें दूर करना
    चाहिए।
           5) सहवास नहीं करना चाहिए।
           6) माँ को स्वस्थ
    रहना चाहिए। स्वस्थ माँ ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दे
    सकती हैं।
           7) पपीते में गर्भ गिराने के शक्तिशाली गुण होते हैं।
    इसलिए गर्भवती स्त्रियों को पपीता खाते समय
    सावधान रहना चाहिए।
    गर्भाशय को मज़बूत करने के लिए :-
        1) लौकी :
    लौकी का रस या सब्जी गर्भाशय को मज़बूत करने में
    बहुत सहायक हैं, इसलिए जिन औरतो को बार बार
    गर्भस्त्राव होता हो उनको नियमित लौकी की
    सब्जी या रस सेवन करना चाहिए।
         2) सिंघाड़ा :
    गर्भाशय को मज़बूत करने के लिए सिंघाड़ा एक बहुत
    उपयुक्त फल हैं, ऐसी स्त्रियों को नियमित सिंघाड़े
    खाने चाहिए
    गर्भ को बचाने के आयुर्वेदिक
    उपाय :
         1) धतूरे की जड़ : जिस स्त्री को बार बार गर्भपात हो
    जाता हो उसकी कमर में धतूरे की जड़ का चार ऊँगली
    का टुकड़ा ऊनी धागे से बाँध दे। इससे गर्भपात नहीं
    होगा। जब नौ मास पूर्ण हो जाए तब जड़ को खोल दे।
           2) जौ का आटा : 12 ग्राम जौ के आटे को १२ ग्राम
    काले तिल और १२ ग्राम मिश्री पीसकर शहद में
    मिलाकर चाटने से बार बार होनेवाला गर्भपात रुकता
    हैं।
          3) अनार : 100 ग्राम अनार के ताज़ा पत्ते पीसकर,
    पानी में छानकर पिलाने और पत्तो का रस पेडू पर लेप
    करने से गर्भस्त्राव रुक जाता हैं। इसलिए ऐसी स्त्रीया
    जिनको अधिक गर्भपात होता हो वो अपने आस पास
    अनार का उचित बंदोबस्त कर के रखे।
          4) ढाक (पलास) : ढाक का पत्ता गर्भधारण करने में बहुत
    सहयोगी हैं। गर्भधारण के पहले महीने 1पत्ता, दूसरे
    महीने 2 पत्ते, इसी प्रकार नौवे महीने 9पत्ते ले कर १
    गिलास दूध में पकाकर प्रात: सांय लेना चाहिए। ये
    प्रयोग जिन्होंने भी किया हैं उनको चमत्कारिक
    फायदा हुआ हैं।
         5) शिवलिंगी बीज चूर्ण और पुत्रजीवक गिरी :
    शिवलिंगी के बीजो का चूर्ण और पुत्रजीवक की
    गिरी दोनों का चूर्ण बराबर मात्रा में मिला ले। 1
    चौथाई चम्मच सुबह खाली पेट शौच के बाद और नाश्ते
    से पहले तथा रात्रि को भोजन के एक घंटे के बाद गाय
    के दूध के साथ सेवन करे। ये दोनों औषधीय आपको
    बाजार में किसी भी आयुर्वेद की दूकान से मिल
    जाएँगी या फिर रामदेव की दूकान से मिल जाएगी।
    खान पान में विशेष ध्यान दे :
                                विटामिन ई युक्त भोजन : विटामिन ई हमको अंकुरित
    भोजन में मिलता हैं, अंकुरित दाल और अनाज इसका
    अच्छा स्त्रोत हैं। बादाम, पिस्ता, किशमिश और सूखे
    मेवे बढ़िया साधन हैं विटामिन ई के, इसलिए गर्भवती
    स्त्री को पर्याप्त मात्रा में विटामिन ई का सेवन
    करवाना चाहिए।नीम्बू नमक और पानी की
    शिकंजवी में विटामिन ई होता हैं इसलिए गर्भवती के
    लिए ये बहुत उपयोगी हैं।
    गर्भपात का खतरा हो तो :-
          1) काले चने का काढ़ा : यदि गर्भपात का भय हो तो
    काले चनो का काढ़ा पीना बहुत फायदेमंद हैं।
         2) फिटकरी : अगर गर्भपात होने लगे या ऐसा भय हो तो
    तुरंत पीसी हुयी फिटकरी चौथाई चम्मच एक कप कच्चे
    दूध में डालकर लस्सी बनाकर पिलाने से गर्भपात रुक
    जाता हैं।
    गर्भपात के समय जब जब दर्द, रक्तस्त्राव हो
    रहा हो तो हर दो दो घंटे से एक खुराक दे।
          3) सौंठ मुलहठी दूध : ऐसी स्त्री को गर्भधारण करते ही
    नित्य आधी चम्मच सौंठ, चौथाई चम्मच मुलहठी को
    २५०ग्राम दूध में उबालकर पिए। गर्भपात की अचानक
    सम्भावना हो जाए तो भी इसी प्रकार सौंठ पिए।
    इस से गर्भपात नहीं होगा। प्रसव वेदना तीव्र हो रही
    हो तो इसी प्रकार सौंठ पीने से वेदना कम हो जाती
    हैं।
          4) दूध और गाजर : एक गिलास दूध और एक गिलास गाजर
    का रस मिलकर उबाले। उबलते हुए आधा रहने पर नित्य
    पीती रहे। गर्भपात नहीं होगा। जिनको बार बार
    गर्भपात होता हो, वे गर्भधारण करते ही इसका सेवन
    आरम्भ कर दे।
          5) सौंफ और गुलाब का गुलकंद : जिन स्त्रियों को बार
    बार गर्भपात हो उनको गर्भधारण के बाद 62 ग्राम
    सौंफ 31 ग्राम गुलाब का गुलकंद पीसकर पानी
    मिलाकर एक बार नित्य पिलाना चाहिए। और पुरे
    गर्भकाल में सौंफ का अर्क पीते रहने से गर्भ स्थिर
    रहता हैं।
             अधिक जानकारी के लिये हमारी पिछली पोस्ट पढे !
         



    Not-
               किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।



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