मासिक धर्म (periods)मे अनियमितता (masik dharm me aniyamitataa)-
मासिक धर्म (periods)मे अनियमितता (masik dharm me aniyamitataa)-
महिलाओं मे मासिक धर्म एक प्राक्रतिक प्रक्रिया है ! जिसमे अनियमितता होना स्वाभाविक है ! परंतु अनियमितता के कारण महिलाओ को कई समस्याये हो सकती है ! और कोइ नई बीमारी भी खडी हो सकती है !जेसे मोटापा,उच्च रक्त चाप,गर्भाशय की समस्या,अरुचि आदि !
यहा हम कुछ एसे घरेलू नुस्खो की जानकारी दे रहे है जिनके सेवन से मासिक धर्म की अनियमितता को दूर किया जा सकता है !
@ असगंध-
-असगंध और खाण्ड को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस
लें, फिर इसे 10 ग्राम लेकर पानी से खाली पेट मासिक धर्म
शुरू होने से लगभग 7 दिन पहले
सेवन करें। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद
कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट
हो जाते हैं।
@ ज्वार
-ज्वार के भुट्टे को जलाकर इसकी राख को छान लें। इस
राख को 3 ग्राम की मात्रा में पानी से सुबह के समय
खाली पेट मासिक-धर्म चालू होने से लगभग एक सप्ताह
पहले देना चाहिए। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका
सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी
विकार नष्ट हो जाते हैं।
@तिल-
-काले तिल 5 ग्राम को गुड़ में मिलाकर माहवारी
(मासिक) शुरू होने से 4 दिन पहले सेवन करना चाहिए। जब
मासिक धर्म शुरू हो जाए तो इसे बंद कर देना चाहिए। इससे
माहवारी सम्बंधी सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
-लगभग 8 चम्मच तिल, एक गिलास पानी में गुड़ या 10
कालीमिर्च को पीसकर गर्म कर लें। आधा पानी बच जाने
पर 2 बार रोजाना पीयें, यह मासिक- धर्म आने के 15
मिनट पहले से मासिकस्राव तक सेवन करें। ऐसा करने से
मासिक-धर्म खुलकर आता है।
-14 से 28 मिलीलीटर बीजों का काढ़ा एक ग्राम मिर्च के
चूर्ण के साथ दिन में तीन बार देने से मासिक-धर्म खुलकर
आता है।
-तिल, जौ और शर्करा का चूर्ण शहद में मिलाकर खिलाने से
प्रसूता स्त्रियों की योनि से खून
का बहना बंद हो जाता है।
@ कलौंजी-
2-3 महीने तक भी मासिक-धर्म के न होने पर और पेट में भी
दर्द रहने पर एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का
तेल और 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम को खाना खाने
के बाद सोते समय 30 दिनों तक पियें |
@ विदारीकन्द-
- विदारीकन्द का चूर्ण 1 चम्मच और मिश्री 1 चम्मच दोनों
को पीसकर 1 चम्मच घी के साथ मिलाकर रोजाना सुबह-
शाम सेवन करने से मासिक-धर्म में अधिक खून आना बंद
होता है।
-विदारीकन्द के 1 चम्मच चूर्ण को घी और चीनी
के साथ मिलाकर चटाने से मासिक-धर्म में अधिक खून
आना बंद हो जाता है।
@ उलटकंबल-
-उलटकंबल की जड़ की छाल का गर्म चिकना रस 2 ग्राम
की मात्रा में कुछ समय तक रोज देने से हर तरह के कष्ट से होने
वाले मासिक-धर्म में लाभ मिलता है।
-उलटकंबल की जड़
की छाल को 6 ग्राम लेकर 1 ग्राम कालीमिर्च के साथ
पीसकर रख लें। इसे मासिक धर्म से 7 दिनों पहले से और जब
तक मासिक-धर्म होता रहता है तब तक पानी के साथ लेने
से मासिक-धर्म नियमित होता है।
- इससे बांझपन दूर होता
है और गर्भाशय को शक्ति प्राप्त होती है। अनियमित
-मासिक-धर्म के साथ ही, गर्भाशय, जांघ और कमर में दर्द
हो तो उलटकंबल की जड़ का रस 4 ग्राम निकालकर चीनी
के साथ सेवन करने से 2 दिन में ही लाभ मिलता है।
-उलटकंबल
की 50 ग्राम सूखी छाल को जौ कूट यानी पीसकर 500
मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें। यह काढ़ा
उचित मात्रा में दिन में 3 बार लेने से कुछ ही दिनों में
मासिक-धर्म नियमित समय पर होने लग जाता है। इसका
प्रयोग मासिक धर्म शुरू होने से 7 दिन पहले से मासिक-धर्म
आरम्भ होने तक दें।
-उलटकंबल की जड़ की छाल का चूर्ण 4 ग्राम और
कालीमिर्च के 7 दाने सुबह-शाम पानी के साथ मासिक-
धर्म के समय 7 दिन तक सेवन करें। 2 से 4 महीनों तक यह
प्रयोग करने से गर्भाशय के सभी दोष मिट जाते हैं।
-यह प्रदर
और बन्ध्यत्व की सर्वश्रेष्ठ औषधि है।
@ अनन्नास-
-अनन्नास के कच्चे फलों के 10 मिलीलीटर रस में, पीपल की
छाल का चूर्ण और गुड़ 1-1 ग्राम मिलाकर सेवन करने से
मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है।
- अनान्नास के पत्तों
का काढ़ा एक चौथाई ग्राम पीने से भी मासिक-धर्म
की रुकावट दूर होती है।
@ बथुआ-
-2 चम्मच बथुआ के बीज 1 गिलास पानी में उबालें। आधा
पानी बच जाने पर छानकर पीने से रुका हुआ मासिकधर्म
खुलकर साफ आता है।
@ अशोक की छाल-
-अशोक की छाल 10 ग्राम को 250 ग्राम दूध में पकाकर
सेवन करें तो माहवारी सम्बंधी परेशानियां दूर हो जाती
हैं।
@ धनिया के बीज-
-मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो तो आधा लीटर
पानी में लगभग 6 ग्राम धनिया के बीज डालकर खौलाएं
और इसमें शकर डालकर पीने से फायदा होगा।
@ सोंठ, गुड़, बायबिड़ंग-
-50 ग्राम सोंठ, 30 ग्राम गुड़, 5 ग्राम बायबिड़ंग की जड़ों
तथा 5 ग्राम जौ को मोटा-मोटा कूटकर दो कप पानी में
औटाएं, जब पानी आधा कप रह जाए तो काढ़े का सेवन
करें। ऐसा करने से रुका हुआ मासिक धर्म खुल जाएगा।
@ कलौंजी-
-2-3 महीने तक भी मासिक-धर्म के न होने पर और पेट में भी
दर्द रहने पर एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का
तेल और 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम को खाना खाने
के बाद सोते समय 30 दिनों तक पियें |
@ निर्गुण्डी के बीज-
-जिन महिलाओं को मासिक धर्म की अनियमितता की
शिकायत रहती है उन्हें निर्गुण्डी के बीजों के 2 ग्राम चूर्ण
की फांकी सुबह-शाम लेना चाहिए, ऐसा करने से मासिक-
धर्म ठीक समय पर आने लगता है।
@ इन्द्रायण के बीज-
-मासिक-धर्म रुका हुआ हो तो उसे इन्द्रायण के बीज (3
ग्राम) और कालीमिर्च (5 दाने) को 200 मिली पानी में
उबालकर काढ़ा बनाकर पिलाया जाए तो रुका हुआ
मासिक धर्म दोबारा शुरू हो जाता है।
@ राई-
-मासिक-धर्म में दर्द होता हो या स्राव कम होता हो तो
गुनगुने पानी में राई के चूर्ण को मिलाकर, स्त्री को कमर
तक डूबे पानी में बैठाने से लाभ होता है।
@ मूली-
-मूली के बीजों का चूर्ण सुबह-शाम जल के साथ 3-3 ग्राम
सेवन करने से ऋतुस्राव (माहवारी) का अवरोध नष्ट होता
है।
@ अडूसा (वासा)-
-अड़ूसा के पत्ते ऋतुस्त्राव (मासिकस्राव) को नियंत्रित
करते हैं।
-रजोरोध (मासिकस्राव अवरोध) में वासा पत्र 10
ग्राम, मूली व गाजर के बीज प्रत्येक 6 ग्राम, तीनों को
500 मिलीलीटर पानी में पका लें। चतुर्थाश शेष रहने पर यह
काढ़ा कुछ दिनों तक सेवन करने से लाभ होता है।
Not-
किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
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महिलाओं मे मासिक धर्म एक प्राक्रतिक प्रक्रिया है ! जिसमे अनियमितता होना स्वाभाविक है ! परंतु अनियमितता के कारण महिलाओ को कई समस्याये हो सकती है ! और कोइ नई बीमारी भी खडी हो सकती है !जेसे मोटापा,उच्च रक्त चाप,गर्भाशय की समस्या,अरुचि आदि !
यहा हम कुछ एसे घरेलू नुस्खो की जानकारी दे रहे है जिनके सेवन से मासिक धर्म की अनियमितता को दूर किया जा सकता है !
@ असगंध-
-असगंध और खाण्ड को बराबर मात्रा में लेकर बारीक पीस
लें, फिर इसे 10 ग्राम लेकर पानी से खाली पेट मासिक धर्म
शुरू होने से लगभग 7 दिन पहले
सेवन करें। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका सेवन बंद
कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी विकार नष्ट
हो जाते हैं।
@ ज्वार
-ज्वार के भुट्टे को जलाकर इसकी राख को छान लें। इस
राख को 3 ग्राम की मात्रा में पानी से सुबह के समय
खाली पेट मासिक-धर्म चालू होने से लगभग एक सप्ताह
पहले देना चाहिए। जब मासिक-धर्म शुरू हो जाए तो इसका
सेवन बंद कर देना चाहिए। इससे मासिक-धर्म के सभी
विकार नष्ट हो जाते हैं।
@तिल-
-काले तिल 5 ग्राम को गुड़ में मिलाकर माहवारी
(मासिक) शुरू होने से 4 दिन पहले सेवन करना चाहिए। जब
मासिक धर्म शुरू हो जाए तो इसे बंद कर देना चाहिए। इससे
माहवारी सम्बंधी सभी विकार नष्ट हो जाते हैं।
-लगभग 8 चम्मच तिल, एक गिलास पानी में गुड़ या 10
कालीमिर्च को पीसकर गर्म कर लें। आधा पानी बच जाने
पर 2 बार रोजाना पीयें, यह मासिक- धर्म आने के 15
मिनट पहले से मासिकस्राव तक सेवन करें। ऐसा करने से
मासिक-धर्म खुलकर आता है।
-14 से 28 मिलीलीटर बीजों का काढ़ा एक ग्राम मिर्च के
चूर्ण के साथ दिन में तीन बार देने से मासिक-धर्म खुलकर
आता है।
-तिल, जौ और शर्करा का चूर्ण शहद में मिलाकर खिलाने से
प्रसूता स्त्रियों की योनि से खून
का बहना बंद हो जाता है।
@ कलौंजी-
2-3 महीने तक भी मासिक-धर्म के न होने पर और पेट में भी
दर्द रहने पर एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का
तेल और 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम को खाना खाने
के बाद सोते समय 30 दिनों तक पियें |
@ विदारीकन्द-
- विदारीकन्द का चूर्ण 1 चम्मच और मिश्री 1 चम्मच दोनों
को पीसकर 1 चम्मच घी के साथ मिलाकर रोजाना सुबह-
शाम सेवन करने से मासिक-धर्म में अधिक खून आना बंद
होता है।
-विदारीकन्द के 1 चम्मच चूर्ण को घी और चीनी
के साथ मिलाकर चटाने से मासिक-धर्म में अधिक खून
आना बंद हो जाता है।
@ उलटकंबल-
-उलटकंबल की जड़ की छाल का गर्म चिकना रस 2 ग्राम
की मात्रा में कुछ समय तक रोज देने से हर तरह के कष्ट से होने
वाले मासिक-धर्म में लाभ मिलता है।
-उलटकंबल की जड़
की छाल को 6 ग्राम लेकर 1 ग्राम कालीमिर्च के साथ
पीसकर रख लें। इसे मासिक धर्म से 7 दिनों पहले से और जब
तक मासिक-धर्म होता रहता है तब तक पानी के साथ लेने
से मासिक-धर्म नियमित होता है।
- इससे बांझपन दूर होता
है और गर्भाशय को शक्ति प्राप्त होती है। अनियमित
-मासिक-धर्म के साथ ही, गर्भाशय, जांघ और कमर में दर्द
हो तो उलटकंबल की जड़ का रस 4 ग्राम निकालकर चीनी
के साथ सेवन करने से 2 दिन में ही लाभ मिलता है।
-उलटकंबल
की 50 ग्राम सूखी छाल को जौ कूट यानी पीसकर 500
मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा तैयार करें। यह काढ़ा
उचित मात्रा में दिन में 3 बार लेने से कुछ ही दिनों में
मासिक-धर्म नियमित समय पर होने लग जाता है। इसका
प्रयोग मासिक धर्म शुरू होने से 7 दिन पहले से मासिक-धर्म
आरम्भ होने तक दें।
-उलटकंबल की जड़ की छाल का चूर्ण 4 ग्राम और
कालीमिर्च के 7 दाने सुबह-शाम पानी के साथ मासिक-
धर्म के समय 7 दिन तक सेवन करें। 2 से 4 महीनों तक यह
प्रयोग करने से गर्भाशय के सभी दोष मिट जाते हैं।
-यह प्रदर
और बन्ध्यत्व की सर्वश्रेष्ठ औषधि है।
@ अनन्नास-
-अनन्नास के कच्चे फलों के 10 मिलीलीटर रस में, पीपल की
छाल का चूर्ण और गुड़ 1-1 ग्राम मिलाकर सेवन करने से
मासिक-धर्म की रुकावट दूर होती है।
- अनान्नास के पत्तों
का काढ़ा एक चौथाई ग्राम पीने से भी मासिक-धर्म
की रुकावट दूर होती है।
@ बथुआ-
-2 चम्मच बथुआ के बीज 1 गिलास पानी में उबालें। आधा
पानी बच जाने पर छानकर पीने से रुका हुआ मासिकधर्म
खुलकर साफ आता है।
@ अशोक की छाल-
-अशोक की छाल 10 ग्राम को 250 ग्राम दूध में पकाकर
सेवन करें तो माहवारी सम्बंधी परेशानियां दूर हो जाती
हैं।
@ धनिया के बीज-
-मासिक धर्म साधारण से ज्यादा हो तो आधा लीटर
पानी में लगभग 6 ग्राम धनिया के बीज डालकर खौलाएं
और इसमें शकर डालकर पीने से फायदा होगा।
@ सोंठ, गुड़, बायबिड़ंग-
-50 ग्राम सोंठ, 30 ग्राम गुड़, 5 ग्राम बायबिड़ंग की जड़ों
तथा 5 ग्राम जौ को मोटा-मोटा कूटकर दो कप पानी में
औटाएं, जब पानी आधा कप रह जाए तो काढ़े का सेवन
करें। ऐसा करने से रुका हुआ मासिक धर्म खुल जाएगा।
@ कलौंजी-
-2-3 महीने तक भी मासिक-धर्म के न होने पर और पेट में भी
दर्द रहने पर एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच कलौंजी का
तेल और 2 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम को खाना खाने
के बाद सोते समय 30 दिनों तक पियें |
@ निर्गुण्डी के बीज-
-जिन महिलाओं को मासिक धर्म की अनियमितता की
शिकायत रहती है उन्हें निर्गुण्डी के बीजों के 2 ग्राम चूर्ण
की फांकी सुबह-शाम लेना चाहिए, ऐसा करने से मासिक-
धर्म ठीक समय पर आने लगता है।
@ इन्द्रायण के बीज-
-मासिक-धर्म रुका हुआ हो तो उसे इन्द्रायण के बीज (3
ग्राम) और कालीमिर्च (5 दाने) को 200 मिली पानी में
उबालकर काढ़ा बनाकर पिलाया जाए तो रुका हुआ
मासिक धर्म दोबारा शुरू हो जाता है।
@ राई-
-मासिक-धर्म में दर्द होता हो या स्राव कम होता हो तो
गुनगुने पानी में राई के चूर्ण को मिलाकर, स्त्री को कमर
तक डूबे पानी में बैठाने से लाभ होता है।
@ मूली-
-मूली के बीजों का चूर्ण सुबह-शाम जल के साथ 3-3 ग्राम
सेवन करने से ऋतुस्राव (माहवारी) का अवरोध नष्ट होता
है।
@ अडूसा (वासा)-
-अड़ूसा के पत्ते ऋतुस्त्राव (मासिकस्राव) को नियंत्रित
करते हैं।
-रजोरोध (मासिकस्राव अवरोध) में वासा पत्र 10
ग्राम, मूली व गाजर के बीज प्रत्येक 6 ग्राम, तीनों को
500 मिलीलीटर पानी में पका लें। चतुर्थाश शेष रहने पर यह
काढ़ा कुछ दिनों तक सेवन करने से लाभ होता है।
Not-
किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।
त्वचा संबंधी समस्या ,बालो की समस्या,कील मुहासे,मोटापा, अन्य बिमारियों के लिये आयुर्वेदिक घरेलू नुस्खो
सेक्स संबंधित समस्या,लिंग का ढीलापन,शीघ्रपतन,शूक्रानु क्षिनता आदि समस्याओ की जानकारी और उनकी अयुर्वेदिक ओशधि की जानकारी के लिये यहा क्लिक करें-
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