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    गर्भपात से बचने के लिए सावधानियां( garbhpaat se bachne ke liye savadhaniyan )-


    गर्भपात से बचने के लिए सावधानियां( garbhpaat se bachne ke liye savadhaniyan )-
                  मिस्कैरेज की समस्या से बचने के लिए स्वस्थ आदतों को अपनाएं। अपनी सेहत का खास खयाल रखें। इससे आप मिस्कैरेज के खतरे से दूर रहेंगी। खाने में पौष्टिक आहर लें जैसे आयरन, फोलिक एसिड  आदि। इन चीजों के सेवन से महिलाओं के शरीर में रक्त की कमी नहीं होती है। नियमित रुप से व्यायाम करें और धूम्रपान व एल्कोहल के सेवन से बचें। अगर आपको गर्भावस्था के दौरान किसी प्रकार की स्वास्थय समस्या है तो तुंरत डॉक्टर से मिलें और इसके बारे में बात करें और उचित इलाज लें। इससे भ्रूण को किसी भी प्रकार की समस्या से बचाया जा सकता है। याद रखें रोज की शारीरिक गतिविधि, व्यायाम व सेक्स से मिस्कैरेज का खतरा नहीं होता है।गर्भावस्था के दौरान कैफीन के अत्यधिक सेवन से बचना चाहिए। अगर आप वर्किंग है तो बहुत देर तक अपनी सीट पर ना बैठे रहें। यह बहुत थकान भरा हो सकता है। इसलिए बीच-बीच में थोड़ा सा वॉक जरूर करनी चाहिए।

                 यहां हम बात कर रहे हैं गर्भपात की, जिसका नाम सुनना भी कटु अनुभव देता है। बहुत सी महिलाओं का गर्भाशय कमजोर होता है, कभी-कभार इसका पता पहले ही लग जाता है तो कभी दुर्घटना के बाद।
    दो बार गर्भपात
                    वे महिलाएं जिनका दो बार गर्भपात हो चुका होता है उनका गर्भाशय अत्याधिक कमजोर हो जाता है। ऐसे में उन्हें बहुत सी सावधानियां रखने की जरूरत होती हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही टिप्स देने जा रहे हैं जो हर गर्भवती या गर्भधारण करने का विचार कर रही स्त्री के लिए फायदेमंद हैं।
    गर्भपात के कारण
    सबसे पहले जानते हैं गर्भपात के कारण क्या हैं। जानकारों के अनुसार निमोनिया, टी.बी, कोई पुरानी बीमारी, ज्वर आदि जैसी बीमारियों से ग्रसित रहने वाली महिलाओं के गर्भपात होने की संभावना रहती है।
    गर्भाशय संबंधी परेशानी
    इसके अलावा गर्भाशय संबंधी कोई परेशानी, पेट पर चोट लगना, कोई डर, मानसिक पीड़ा या फिर अवसाद की वजह से गर्भ संभालना मुमकिन नहीं हो पाता। गर्भस्राव, यानि गर्भ से लगातार रक्त बहने की प्रवृत्ति, थायराइड और विटामिन ई की कमी भी इसका कारण है।
    क्या खाएं -
                  गर्भाशय को मजबूत रखना बहुत जरूरी है और इसके लिए बहुत से खाद्य पदार्थ आपकी सहायता कर सकते हैं, जिसमें लौकी और सिंघाड़ा मुख्य रूप से शामिल हैं।
    @ लौकी का जूस-
                    जिन स्त्रियों को बार-बार गर्भस्राव होता है उन्हें नियमित तौर पर लौकी का जूस या सब्जी का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा सिंघाड़े का सेवन भी बहुत लाभप्रद है।
    शिकंजी
    अंकुरित भोजन में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है, इसके अलावा सूखे मेवों का सेवन भी अवश्य किया जाना चाहिए। गर्भास्था में नींबू और नमक वाली शिकंजी बहुत फायदेमंद होती है।
    गाजर का रस
    एक गिलास दूध में एक गाजर का रस मिलाकर उबालें। जब दूध आधा रह जाए तो इसका सेवन कर लीजिए। ऐसा प्रतिदिन करना फायदेमंद होगा। जिन्हें बार-बार गर्भपात होता है वे अभी से इसका सेवन प्रारंभ कर दें।
    आयुर्वेद
    गर्भाशय को बचाने के लिए आयुर्वेद में भी कुछ बहुत कारगर उपाय बताए गए हैं। आइए जानते हैं क्या हैं वे उपाय।
    काले चने का काढ़ा
    गर्भपात का भय अगर लगातार बना रहता है तो ऐसे हालात में काले चने का काढ़ा बहुत लाभप्रद है।
    फिटकरी
    अगर आपको ये अंदजा होने लगता है कि गर्भपात होने वाला है तो तुरंत एक चम्मच फिटकरी को कच्चे दूध के साथ पानी में मिलाकर लेने से गर्भपात रुक जाता है।
    सोंठ, मुलहठी और दूध
    ऐसी स्त्री जिसके गर्भपात का खतरा बना रहता है उसे गर्भधारण करते ही रोजाना 250 ग्राम दूध में आधी चम्मच सोंठ, चौथाई चम्मच मुलहठी मिलाकर पिलाना चाहिए।
    धतूरे की जड़
    ऐसी स्त्री जिसे बार-बार गर्भपात का शिकार होना पड़ रहा है उसकी कमर में धतूरे की जड़ का चार अंगुली का टुकड़ा ऊबनी धागे में डालकर बांध दें। नौ माह पूरे होने के बाद इसे खोल दें।
    अनार के पत्ते
    अनार के ताजा पत्तों (100 ग्राम) को पीसकर उसे पानी में छान लें। उस पानी को गर्भवती महिला को पिला दीजिए और बचे हुए लेप को पेट के निचले भाग यानि पेडू पर लगा दें। ऐसा करने से रक्तस्राव रुक जाएगा।
    पलाश के पत्ते
    गर्भधारण करने के लिए पलाश के पत्ते बहुत उपयोगी करार दिए गए हैं। गर्भधारण के पहले महीने एक पत्ता, दूसरे महीने दो पत्ते, इसी तरह हर महीने के हिसाब से उतने पत्ते दूध में मिलाकर गर्भवती स्त्री को दिए जाने चाहिए।
    शिवलिंगी का बीज
    शिवलिंगी के बीज और पुत्र जीवक की गिरी का चूर्ण बनाकर गाय के दूध के साथ रोज सुबह शौच के बाद और नाश्ते से पहले एक चम्मच लें। इसके अलावा रात में सोने से पहले एक चम्मच दूध के साथ अवश्य लें।
    सोंठ का सेवन
    अगर प्रसव पीड़ा बहुत ज्यादा हो रही हो तो भी सोंठ का सेवन फायदेमंद होता है।


    Not-
               किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।

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