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     गर्भपात के कारण (miscarriage ke Karen)-

     गर्भपात के कारण (miscarriage ke Karen)-
                 पहले तीन महीनों में मिसकैरेज होना किसी भी महिला के लिए आम होता है, अन्य दूसरे महीनों के मुकाबले, गर्भधारण के प्रथम चरण यानी पहले 20 दिनों में कई बार औरतों को यह पता ही नहीं होता की वह गर्भवती है, वह इसका ध्यान नहीं देती और मिसकैरेज हो जाता है।
                आमतौर पर मिसकैरेज की मेडिकल वजहें होती है मसलन जेनेटिक कारण, प्लासेंटा की स्थिति, वजाइना में लगातार इन्फेक्शन, डायबिटीज की वजह से होने वाला इन्फेक्शन, गलत मेडीसिन खाना आदि। पहले ट्राइमेस्टर में होनेवाले 90 फीसदी मिसकैरेज जिनेटिक कारणों से होते हैं। ज्यादा उछल, कूद डांस, दूसरे बच्चे का बहुत जल्दी आना भी मिसकैरेज की वजह बन सकता है।
              कई महिलाएं तो खुद को ही इसके लिए दोषी समझती हैं। इन दिनों गर्भपात बेहद आम हो गया है, इसलिए महिलाओं को गर्भपात के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। गर्भपात इन कारणों से हो सकता है।
    @ रोग प्रतिरक्षण समस्याएं (Immunological problems)- कई बार मां का इम्यून सिस्टम फॉरन बॉडी के रूप में पिता की कोशिकाओं की जांच करता है और उन पर हमला करता है, इस तरह के मामलों में गर्भावस्था किसी भी तरह से आगे बढ़े बिना ही गर्भ में समाप्त हो जाता है। यह और भी अधिक महत्वपूर्ण तब है, जब माँ और पिता के आरएच कारक अलग होते हैं।
    @ गर्भाशय (uterus) में असामान्यताएं- .       फाइब्रॉएड, गर्भाशय वेध (uterine perforation), इन्फेक्शन, अलग गर्भाशय जैसी संरचनात्मक समस्या या मुड़ा हुआ गर्भाशय (folded uterus) गर्भावस्था को कठिन बना सकते हैं। इससे अंदर की जगह बढ़ जाती है और ये गर्भपात का कारण बन जाता है। इसके अलावा इन्फेक्शन और गर्भाशय की कमजोर दीवारें भी इसके कारण हैं।
    @ गुणसूत्र असामान्यताएं (Chromosomal abnormalities)-
                   ज्यादातर मामलों में गर्भपात की समस्या माता-पिता दोनों में से किसी एक के कुछ गुणसूत्र असामान्यताओं के कारण हो सकती है। वास्तव में जीन में कुछ बदलाव के कारण ये समस्या हो सकती है।
    @ हेमाटोलोजीकल (Hematological) कारण-
                     कई बार क्त संबंधी विकार थ्रोम्बोसिस (thrombosis) भी शुरुआती दिनों में गर्भपात का एक कारण हो सकता है। इसके अलावा खून के थक्के की दवाएं भी इसका कारण बन सकती हैं।
    @ हार्मोन संबंधी समस्याएं-
                  ऐसा कहा जाता है कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर रहना बहुत जरूरी होता है। लेकिन डायबिटीज, थायराइड और अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं भी गर्भावस्था के शुरुआती दिनों के दौरान गर्भपात कारण बन सकती हैं।
                अगर किसी महिला को गर्भावस्था के शुरुआती दिनों के दौरान एक या दो से अधिक बार गर्भपात हुआ है, तो उसे सही कारणों का पता लगाने के लिए किसी अच्छे डॉक्टर से मिलना चाहिए।
    अगर आप भी गर्भपात की समस्या से परेशान है तो चिंता की कोई आवश्यकता नही !आयुर्वेद में इसका इलाज संभव है !जो आप को बार बार होने वाले गर्भपात से छुटकारा दिलाने में कारगर है !उन दवाइयों का सेवन कर आप बार बार होने वाले गर्भपात से छुटकारा पा सकती है और माँ बनने का आनंद ले सकती है !!


    Not-
               किसी भी ओषधि के सेवन से पूर्व किसी वैद या डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। सभी मनुष्य की शारीरिक प्रकृति अलग अलग होती है। और औषधि मनुष्य की प्रकृति के अनुसार दी जाती है यह वेबसाइट किसी को भी बिना सही जानकारी के औषधि सेवन की सलाह नही देती अतः बिना किसी वैद की सलाह के किसी भी दावाई का सेवन ना करें।


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